करता हैं वह तपस हज़ारों साल
पर मिलता हैं दर्षण दो पल के लिये
अब क्या क्या मांगे उन दो पल में
जब उसको याद भी न रहें,
क्युं करने बैठा था तपस इतने साल पहले!
पर मिलता हैं दर्षण दो पल के लिये
अब क्या क्या मांगे उन दो पल में
जब उसको याद भी न रहें,
क्युं करने बैठा था तपस इतने साल पहले!